ओपीडी शुल्क वृद्धि पर प्रशासन चुप किलै
देहरादून। सरकारी अस्पतालों मा ओपीडी पर्चा अब 60 रूप्य मा बणलो। यानि पैल्ये अपेक्षा तीन गुणा भुगतान कन पड़लो। पैलि 23 रूप्य मा यो पर्चा बण जांदो छौ। हालांकि इस शुल्क वृद्धि का बारा मा अस्पताळ प्रशासन कि तर्फ बटी क्वी सटीक जवाब नि मिल सकि। पर यिथगा तैे छ कि विभाग का खाता मा बढ़दा खर्च तै राहत देणै कोशिश करे जाणी छ। यानि अस्पताळों का दैनिक खर्चा पूरा कनौ यो शुल्क जनता को खीसा चीरी वसूल करे जाव।
दरसल सरकार एक तर्फ जनता तैं मुफ्रत स्वास्थ्य सुविधा देणै घोषणा कर्द त हैंक तर्फ वो मरीजों से ओपीडी पर्चा का नौं पर तीन गुणा जादा शुल्क ल्हेणी छ। ये मामला मा कखि बटी प्रतिक्रिया कि भणक नी छ। आम जनता सीधा लैन मा खड़ी “वेकि 23 का बजाय 60 रूप्य रजिस्ट्रेशन विळ खिड़की मा अदा कैकि चुपचाप डाक्टरों कि गैलरी मा खड़ी “वे जांद। ये संबंध मा न त मीडिया न सरकार से सवाल करि अर न कै स्वास्थ्य से जुड्यां स्वयं सेवी संगठनों कि तर्फ बटी शुल्क वृद्धि पर सरकार से सवाल करि। सिवाय पालिका सभासद श्रीनगर डॉ0 विनीत पोस्ती का नेतृत्व का छात्रें का वूंन राजकीय संयुक्त चिकित्सालै मा चिकित्सा अधीक्षक कार्यालै का समणि सांकेतिक धरणा देकि प्रदर्शन करि। वूंन मांग कै कि ओपीडी पर्चा वास्ता बढ़ी कीमत तत्काल वापस ल्हिये जाव। अब चिकित्सा अधीक्षक डॉ0 लोकेश सलूजा का पास ज्ञापन ल्हेणा सिवा क्वी प्रतिक्रिया नि छै। सुद्भौण कैकि ज्ञापन ल्हेकि वो बि अपण केबिन मा चल ग्येनि।
य पहल तमाम सरकारी अस्पताळों का प्रभार्यों का समाणि करे जाण चयेणी छै पर कखि हौर जगा बटी क्वी आहट सुण्नोे नि मिल्नी छ। अगर द्यखे जाव त शुल्क बढ़ौणा पिछनै अस्पताळों कि आमदानी बढोैणु सरकार को तर्क “वे सकद पर असल स्थिति कुछ हौर हि छ। सरकार आज जनसुविधों पर खर्च कम अर सरकारी कर्मचार्यों, अधिकार्यों अर मंत्री-विधायकों को देयकों का भुगतान पर राज्य कि आय को जादातर खर्च कर देणी छ। वो एक मंत्री पर प्रतिमाह लगभग चार लाख रूप्य खर्च कै सकद। वूंतैं अच्छी से अच्छी सुविधा मुहैया कर सकद। यांका मामला मा सरकार चलौण वळों मा बजट कि कमी नी छ। अपण कर्मचार्यों कि तनखा अर पेंशन मदों पर करोड़ों मासिक खर्च “वे जांद पर वो जनता जैन सरकार मा बैठ्यां लोगु तैं आम से माननीय कि पदवी दिनी वींका प्रति सरकार को उपेक्षा भाव शासक अर शासक का बीच दूरी बढौंद। य स्थिति तब छ जबकि स्वास्थ्य संबंधी कथगै योजना केन्द्र पोषित होंदन पर वूंतैं बि अपणि बतैकि सरकार अपणि पीठ ठोकणो बोद।
अब विचारो उपभोक्ता जाव त कख। वेको पैलु विकल्प सरकारी अस्पताळ होंद। वो जणदु छ कि चूंकि यूं संस्थानों मा अपेक्षाकृत जादा काबिल अर प्रशिक्षित डाक्टर होंदन। वो यो बि जणद कि सरकारीे अस्पतालों मा कुछ न कुछ सुविधा त मिल हि जैलि। एकदां भर्ती होणा बाद आयुष्मान योजना का तहत वेतैं निजी अस्पताळों मा इलाज कि सुविधा प्राप्त “वे जैलि पर सरकार कि कमाऊ मानसिकता उपभोक्ता तैं निराशा कि तरफ धक्का देंद दिखेणीे छ। दरसल अपणु लोकतंत्र अपण नागरिकों तैं मूलभूत सुविधा निशुल्क उपलब्ध करौणो वादा कर्द। शिक्षा, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल, का अलावा वो सब सुविधा जो कि जनता तैं रोजना उपलब्ध करैेे जाणै व्यवस्था कनु सरकार को दायित्व छ। पर द्यखण मा औणू छ कि सरकार जनता तैं मूलभूत सुविधा करौणु वींपर एहसान जनु कनु प्रदर्शित कर्द दिखेणी छ। य मानसिकता लोकतांत्रिक व्यवस्था कि सेहत वास्ता घातक छ।
सरकार जनता का खीसा बटी पैसा निकाळी अस्पताळ कि रोजमर्रा कि जर्वत पूरी कनै कोशिश कनी छ पर वींको ध्यान प्राइवेट अस्पताळ संचालकों कि तर्फ बटी होणी लूट पर नी छ। जनकि सब जणदन कि प्रदेश मा अटल आयुष्मान योजना का अन्तर्गत हर नागरिक तैं निःशुल्क
इलाज कि सुविधा प्राप्त छ। लेकिन सरकारी तंत्र मा व्याप्त अव्यवस्था अर उपेक्षा का कारण आम जनता प्राइवेट अस्पताळों मा लुटे जाणो मजबूर छ। लोग सरकारी अस्पताळों कि धींगामुश्ती से क्षुब्ध “वेकि प्राइवेट अस्पताळों कि तर्फ रूख कना छन। चिंतन कन विळ बात छ कि प्रसव का मामला मा जख सरकारी अस्पताळों मा प्रोत्साहन राशि बि दिये जांद पर लोग अपणु केस निजी अस्पताळों करौणु जादा बेहतर समझदन। यिनु किलै। सरकारी संस्थानों मा डिलीवरी सिस्टमेटिक करै जांद जबकि निजी अस्पताळ क्वी बि कारण बतैकि सीजेरियन कि सला देंदन। यांक एवज मा वो हजारों रूप्य तीमारदारों से वसूल कर दिंदन। आखिर यिनु किलै।
दरसल निजी अस्पताळों मा बि सरकारी डाक्टरों कि मदद ल्हिये जांद। ड्यूटी का बाद अर कबि-कबि त ड्यूटी टैम पर बि सरकारी डाक्टर निजी अस्पताळों मा आपरेशन आदि चिकित्सा कनौ बुलै दिये जांदन। बात ओपीडी कार्ड शुल्क 60 रूप्य कनै नी छ पर ये मामला मा जिम्मेदारों तैं तर्क देण चयेणू छे कि आखिर यो शुल्क 23 से 60 रूप्य कना पिछनै क्य औचित्य छ। सिर्फ ओपीडी शुल्क हि न अब सरकारी अस्पताळों मा बेड चार्ज, भर्ती शुल्क, प्राइवेट वार्ड, अर अलग से सेवा पर मिल्न विळ सुविधा का शुल्क मा बि बढ़ोत्तरी कर दिये ग्ये। यो क्रम अगर यिनि चल्नू रालो त सरकार ज्व सुविधा नागरिकों तै। देंदी छै वो आम आदिमै सक्य से भैर “वे जैलि।
ओपीडी शुल्क वृद्धि पर प्रशासन चुप किलै